370 हटाने वाले कानून

मोदी 370 हटाने वाले कानून को विश्व बिरादरी के रूख को देखकर वापस लेने को मजबूर दिखाई दे रहे हैं, फेस सेविंग का बहाना खोजा जा रहा है, मामला बहुत दूर तक चला गया लगता है.


धारा 370 भारत काश्मीर के जोड़ का सीमेंट था. संविधान का अंग था. उसकी पहली शर्त थी कि उसमे भारतीय संसद कोई निर्णय बिना कश्मीर के संविधान सभा के राय के बिना नही ले सकती , जबकि संविधान सभा का अस्तित्व नही है, पहले यह धारा अस्थायी थी लेकिन संविधान सभा भंग होने के कारण यह स्वतः स्थायी हो गयी है, ऐसा सुप्रीम कोर्ट ने भी कहा है. अत: उसकी जगह विधान सभा की राय जरूरी थी. 


मोदी ने असंवैधानिक रूप से 370 के साथ जो छेड़छाड़ किये उसका परिणाम कश्मीर विश्व के बिरादरी मे अपने को स्वतंत्र घोषित करना शुरू कर दिया है.


उसका कहना है कि "कश्मीर भारत का कभी अंग नही रहा, हम शर्तों पर साथ आये थे. वह शर्त 370 धारा मे स्पष्ट थी. 370 भारत ने खतम कर दिया तो हमारी स्थिति पुन: 1947 वाली हो गयी!
अब हम आजाद हैं!!"


इस बात पर चीन और अमेरिका दोनों पंचायत करने की बात कर रहे हैं. अभी ट्रंप ने कहा कि G summit की मिटंग मे मै जा रहा हूं , या तो मै मध्यस्थता करूंगा या कुछ और करूंगा. कश्मीर एक जटिल समस्या है , धार्मिक मामला है जो बहुत ही कठिन समस्या है. देखता हूँ मै क्या कर सकता हूँ."


एमनेस्टी इंटरनेशनल जैसी विश्वविख्यात संस्था ने भी इस पर ध्यान देना शुरू कर दिया है.


पूरा मुश्लिम देश इस बार कश्मीर के जनता के साथ हैं. 


मोदी को अपनी मूर्खता समझ मे आने लगी है लेकिन अपना थूका चाटें कैसे? 


बाहर दुनियां का दबाब, अंदर हिंदू राष्ट्र का ख्वाब, करें तो करे क्या?? 


अब ट्रंप चाचा ने कहा है कि जल्दी कुछ करो नही तो हम कुछ नही कर सकते. मोदी जी ने कहा कि पाकिस्तान से बुलवा दीजिये कि हम काश्मीर मे कोई हस्तक्छेप नही करेंगे. हम वापिस ले लेंगे. 


सबसे बड़ी बात भक्तों का क्या होगा?? अब कश्मीर मे प्लाट और लड़की कैसे पायेंगे?
-डॉ. बी.एन सिंह